ऐसा था युसूफ खान से दिलीप कुमार बनने तक का सफर
ऐसा था युसूफ खान से दिलीप कुमार बनने तक का सफर




07 Jul 2021 |  318



धनंजय सिंह स्वराज सवेरा एडिटर इन चीफ यूपी 



 दिलीप कुमार हिंदी सिनेमा का वो नाम है,जिस नाम के अभिनय का हर कोई मुरीद है।ट्रेजडी किंग के नाम से विख्यात 98 वर्षीय दिलीप कुमार ने मंगलवार की सुबह दुनिया को अलविदा कह दिया।दिलीप कुमार कुछ समय से सांस की बीमारी से जूझ रहे थे।कुछ दिन पहले ही दिलीप कुमार को मुंबई के पीजी हिंदुजा अस्पताल में भर्ती कराया गया था।दिलीप कुमार का निधन हिंदी सिनेमा जगत की बहुत बड़ी क्षति है।सभी के दिलों पर राज करने वाले दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर, 1922 को पेशावर में हुआ था।दिलीप कुमार का असली नाम युसूफ खान था और उनके पिता लाला गुलाम सरवर फल बेचते थे। देश के बंटवारे के समय दिलीप कुमार का परिवार मुंबई आकर बस गया।दिलीप कुमार के परिवार की आर्थिक हालत अच्छी न होने की वजह से दिलीप कुमार ने मुंबई आने के बाद एक कैंटीन में काम करने शुरूआत की। इसी दौरान देविका रानी की नजर दिलीप कुमार की ओर गई जो उस समय की मशहूर अभिनेत्री और बॉम्बे टॉकीज के मालिक हिमांशु राय की पत्नी थी। देविका रानी ने ही उनका नाम बदलकर युसूफ खान की जगह दिलीप कुमार रखा था। दिलीप कुमार ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत अमिया चक्रवर्ती द्वारा निर्देशित साल 1944 में आई फिल्म ज्वार भाटा से की थी लेकिन यह फिल्म दिलीप कुमार को सफालता और पहचान दिलाने में नाकामयाब रही। दिलीप कुमार की 1947 में आई फिल्म जुगनू पहली हिट फिल्म थी।इस फिल्म का निर्देशन शौकत हुसैन ने किया था।फिल्म जुगनू में दिलीप कुमार के साथ नूरजहां और शशिकला भी मुख्य भूमिका में थी। साल 1949 में आई फिल्म अंदाज़ में दिलीप कुमार को राज कपूर और नर्गिस के साथ अभिनय करने का मौका मिला। अंदाज फिल्म उस समय तक के भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे बड़ी हिट फिल्म थी।इस फिल्म में दिलीप कुमार के अभिनय को बहुत पसंद किया गया और दिलीप कुमार रातों-रात स्टार बन गए। दिलीप कुमार ने इसके बाद कई फिल्मों में काम किया लेकिन अधिकतर फिल्मों में गम्भीर भूमिका में नजर आये इसी कारण से उनको ट्रेजेडी किंग कहा जाने लगा। साल 1952 में आई फिल्म दाग के लिए दिलीप कुमार को पहली बार फिल्मफेयर के बेस्ट एक्टर के अवार्ड से नवाजा गया और इसके साथ ही दिलीप कुमार पहले भारतीय अभिनेता बने और हिंदी सिनेमा में फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार मिला। दिलीप कुमार ने रुपहले परदे पर अपनी अदाकारी का ऐसा जलवा बिखेरा कि हर कोई इनका दीवाना हो गया।दिलीप कुमार के जलवे से फिल्म जगत की भी सभी हस्तियां इनकी प्रशंसक हो गई और इनके साथ काम करने के लिए समय खोजने लगे। 1960 में दिलीप कुमार,पृथ्वीराज कपूर, मधुबाला और दुर्गा खोटे के शानदार अदाकारी के साथ फिल्म मुगले-ए आजम रिलीज हुई। दिलीप कुमार ने इस फिल्म में सलीम का किरदार निभाया था, मधुबाला अनारकली की भूमिका में थी।मुगले-ए आज़म में दिलीप और मधुबाला की जोड़ी के साथ-साथ दर्शकों को फिल्म भी बहुत पसंद आई। उस ज़माने में फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड कायम किए और उस दौर की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म बनी। दिलीप कुमार ने अपने पूरे फ़िल्मी करियर में हर तरह के किरदार को शानदार तरीके से निभाया। फिल्म अंदाज' में रोमांटिक किरदार हो या फिल्म दीदार में दमदार किरदार या फिर फिल्म आजाद की हास्य भूमिका।दिलीप कुमार ने हर तरह के किरदार में दर्शकों के दिलों को जीता। लगभग छह दशक तक रुपहले पर्दे पर राज करने वाले दिलीप कुमार की कुछ प्रमुख फिल्मे दीदार, दाग, देवदास, नया दौर, कोहिनूर, मधुमती, मुगले-ए आजम, गंगा-जमुना,राम और श्याम,गोपी, क्रांति,शक्ति, मशाल, सौदागर,किला आदि शामिल हैं।दिलीप कुमार ने फिल्मों में अदाकारी के साथ -साथ फिल्म निर्माण में भी किस्मत आजमाया है। उनकी निर्मित फिल्म गंगा -जमुना दर्शकों को काफी पसंद आई। इस फिल्म में उनके साथ उनके भाई नासिर खान भी अदाकारी करते हुए नजर आये। साल 1966 में दिलीप कुमार ने अपने से 22 साल छोटी अभिनेत्री सायरा बानो से शादी कर ली। हालांकि दिलीप कुमार ने शुरुआत में सायरा से शादी करने से इंकार करते रहे, लेकिन सायरा बचपन से ही दिलीप कुमार की दीवानी थी और उनकी जिद थी की वह शादी करेगी तो दिलीप कुमार से।आखिरकार दिलीप कुमार सायरा के सच्चे प्यार को ठुकरा न पाए और दोनों एक हो गए। दिलीप कुमार और सायरा बानो ने साथ में पहली बार साल 1970 में आई फिल्म गोपी में अदाकारी की थी। तब शायद यह कोई नहीं जानता था की रील लाइफ की यह जोड़ी आगे चलकर रियल लाइफ जोड़ी बनेगी। फिल्म गोपी के बाद दिलीप कुमार और सायरा की जोड़ी सगीना, बैराग, दुनिया आदि फिल्मों में भी नजर आई। लेकिन दिलीप कुमार और सायरा के रिश्ते में दूरियां तब आई जब साल 1981 में दिलीप कुमार ने दूसरी शादी आसमा साहिबा नाम की युवती से की, लेकिन जल्द ही 1983 में दोनों का तलाक हो गया और दिलीप कुमार वापस सायरा के पास लौट आये। तब सायरा ने भी सबकुछ भूलकर दिलीप कुमार को सहर्ष अपना लिया और तभी से दिलीप कुमार और सायरा की जोड़ी सबके लिए मिसाल हैं। दिलीप कुमार की 1998 में बनी फिल्म आखिरी फ़िल्म थी। इसके बाद दिलीप कुमार ने फिल्मों से दूरी कना ली। दिलीप कुमार अदाकार के अलावा राजनीति में भी सक्रिय रहे। साल 2000-2006 तक, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा के सदस्य भी रहे लेकिन फिल्म जगत में दिलीप कुमार ने अपनी जो अमिट छाप छोड़ी उसका आज तक कोई सानी न हो सका। दिलीप कुमार भारतीय सिनेमा में सबसे ज्यादा पुरस्कार पाने वाले अभिनेता है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है और इसका जिक्र गिनीज बुक ऑफ द वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी हैं। दिलीप कुमार को फिल्मों में उनके अभूतपूर्ण योगदान के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1991 में पद्म भूषण, साल 1991 में दादा साहेब फाल्के और वर्ष 2015 में पद्म विभूषण पुरस्कारों से सम्मानित किया। साल 1997 में पाकिस्तान सरकार द्वारा उन्हें निशान-ए-इम्तियाज़ (पाकिस्तान में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साल 2011 में दिलीप कुमार ने 88 साल की उम्र में ट्विटर ज्वाइन किया। दिलीप कुमार ने अपनी बायोग्राफी 'द सब्सटेंस एंड द शैडो' में अपनी जिंदगी से जुड़े कई पहलुओं को उजागर किया है, जिसे साल 2014 में 'उदयात्रा नैयर ने लिखा है। वह भारतीय सिनेमा के उन महान अभिनेताओं में रहे, जिसका अनुसरण उनके बाद के अभिनेता करना चाहते हैं। दिलीप कुमार के निधन से इस वक्त पूरे देश को गहरा सदमा लगा है।हिंदी सिनेमा में दिलीप कुमार के योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता है और न कभी और कोई उनकी जगह ले सकता है। दिलीप कुमार के निधन के साथ ही हिंदी सिनेमा के एक स्वर्णिम अध्याय का भी अंत हो गया।


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