लोकसभा चुनाव: हर बार बदलता है प्रतापगढ़ का सियासी समीकरण,जानें कैसे रहे चुनावी नतीजे
लोकसभा चुनाव: हर बार बदलता है प्रतापगढ़ का सियासी समीकरण,जानें कैसे रहे चुनावी नतीजे

17 Mar 2024 |  41





प्रतापगढ़।लोकसभा चुनाव का बिगुल शनिवार को बज चुका है।देश में सात चरणों में लोकसभा चुनाव होगा।उत्तर प्रदेश में सात चरण में मतदान होगा।प्रदेश के बड़के जिले में शुमार प्रतापगढ़ में छठवें चरण में 25 मई को मतदान होगा। 4 जून को चुनाव के नतीजे आएंगे।

बड़के जिले में शुमार प्रतापगढ़ में जब भी लोकसभा का चुनाव हुआ तो दूसरे देश की नजरें प्रतापगढ़ पर टिक रहीं। 17 बार के लोकसभा चुनाव के नतीजों से सभी चौंके। प्रतापगढ़ के लोगों ने सभी पार्टियों को विकास करने का मौका दिया।जिस उत्साह से प्रत्याशियों ने जनसंपर्क किया उसी उत्साह से लोगों ने विजायी बनाकर संसद पहुंचाया।कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, जनसंघ, जनता पार्टी, अपना दल (एस) के प्रत्याशियों को जीत का ताज पहनाया। इस बार भी लोकसभा चुनाव बेहद रोमांचक होगा।देश में चुनावी पारा चढ़ने के साथ ही प्रतापगढ़ में होली के पहले माहौल बदल गया है।सभी पार्टियां लोगों के पास जाकर अपनी बैठ बढ़ा रही हैं।भाजपा और सपा ने आईएनडीआईए के प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा है,जिससे जिले में चुनावी हलचल ज्यादा है।



प्रतापगढ़ में 1952 में हुआ था पहली बार मतदान

प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर पहली बार 1952 में मतदान हुआ था।कांग्रेस प्रत्याशी पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय ने जीत का परचम लहराया था। इसके बाद 1957 के चुनाव में भी पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय ने जीत का परचम लहराया। 1962 में भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी अजीत प्रताप सिंह ने जीत का परचम लहराया था। पांच साल बाद 1967 में कांग्रेस ने फिर प्रतापगढ़ पर अपना कब्जा जमा लिया था।राजा दिनेश सिंह ने जीत का परचम लहराया था। 1971 में दिनेश सिंह दूसरी बार जीत का परचम लहराया था।

ऐसा रही चुनावी उठापटक

1977 में जनता पार्टी के प्रत्याशी रूपनाथ सिंह यादव, 1980 में कांग्रेस के अजीत प्रताप सिंह और 1984 में तीसरी बार राजा दिनेश सिंह ने जीत का परचम लहराया था। 1989 में कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश सिंह ने चौथी बार जीत का परचम लहरा कर एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया था। 1991 में जनता दल के प्रत्याशी अभय प्रताप सिंह ने दिनेश सिंह के विजय रथ को रोका। 1996 में कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमारी रत्ना सिंह ने एक बार फिर कांग्रेस की साख प्रतापगढ़ में बढ़ाई थी।

2019 तक ऐसा रहा चुनावी मैदान

1998 में भाजपा प्रत्याशी रामविलास वेदांती ने फिर कांग्रेस की लाइन को काट दिया। एक साल बाद 1999 में जब फिर लोकसभा चुनाव हुआ तो कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमारी रत्ना सिंह दूसरी बार जीत का परचम लहराया। 2004 में सपा प्रत्याशी अक्षय प्रताप सिंह गोपाल जी, 2009 में कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमारी रत्ना सिंह और 2014 में अपना दल (एस) से कुंवर हरिवंश सिंह ने जीत का परचम लहराया। 2019 में भाजपा प्रत्याशी संगम लाल गुप्ता ने जीत का परचम लहराया।

राजा दिनेश सिंह चार बार, रत्ना सिंह तीन बार सांसद

प्रतापगढ़ लोकसभा पर सबसे अधिक जीत का परचम लहराने का रिकार्ड राजा दिनेश सिंह के नाम है।1967, 1971, 1984, 1989 में दिनेश सिंह ने जीत परचम लहराया। दिनेश सिंह की बेटी राजकुमारी रत्ना सिंह तीन बार 1996, 1999,2009 और पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय दो बार 1952,1957 जीत का परचम लहराया है।

कांग्रेस ने 10 बार फहराया जीत का परचम

प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर अभी तक 17 बार चुनाव हुआ है।इसमें से 10 बार कांग्रेस ने जीत परचम फहराया है।भाजपा ने दो बार जीत का फहराया है।एक बार भारतीय जन संघ के प्रत्याशी ने जीत का परचम फहराया है। जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी पार्टी और अपना दल (एस) ने एक-एक बार जीत का परचम फहराया है।प्रतापगढ़ में बसपा अभी तक अपना खाता नहीं खोल पायी है।जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी भी अपने पहले सांसद का इंतजार कर रही है।

2009 के चुनाव से पहले हुआ परिसीमन

प्रतापगढ़ लोकसभा सीट का अंतिम परिसीमन 2003 में हुआ। 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले यह आकार में आया। इस चुनाव से पहले प्रतापगढ़ लोकसभा में सदर, गड़वारा, कुंडा, रामपुर खास और बाबागंज विधानसभा थी। पट्टी और बीरापुर (वर्तमान में रानीगंज) विधानसभा मछली शहर लोकसभा का हिस्सा थी। 2009 में प्रतापगढ़ लोकसभा में पट्टी और रानीगंज शामिल हो गए। सदर, रामपुर खास, विश्वनाथगंज, पट्टी और रानीगंज विधानसभा प्रतापगढ़ लोकसभा की हो गई। कुंडा और बाबागंज कौशांबी लोकसभा में शामिल हो गए। सदर विधानसभा में भाजपा, रानीगंज में सपा, पट्टी में सपा, विश्वनाथगंज में अपना दल (एस) और रामपुर खास विधानसभा में कांग्रेस के विधायक हैं।

कुर्मियों पर भरोसा करने की क्या है वजह

प्रतापगढ़ लोकसभा में कुर्मी वोटर किंग मेकर की भूमिका में हैं। आंकड़ों के मुताबिक जिले में करीब 11% कुर्मी वोटर हैं। इसके अलावा करीब 16% ब्राह्मण और 8% क्षत्रिय वोटर हैं। 19% एससी-एसटी, 15% मुस्लिम और करीब 10 % यादव वोटर हैं। लोकसभा क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में चार पर कुर्मी-मौर्य बिरादरी के विधायक हैं। इसमें दो सीटें सपा के पास है। यह इस सीट पर कुर्मी बिरादरी के सियासी असर को दिखाता है। रामपुर खास से आराधना मिश्रा मोना कांग्रेस से विधायक हैं। 2009 में अपना दल के टिकट पर जब यहां अतीक अहमद ने उम्मीदवारी की थी तो एक लाख से ज्यादा वोट बटोरे थे।कुर्मी मतदाताओं की ज्यादा तादाद की वजह से यहां कुर्मी मतदाताओं पर हर दल भरोसा कर रहा है।

स्थानीय मुद्दे

प्रतापगढ़ में खारे पानी की समस्या का आज तक कोई स्थायी हल नहीं निकल पाया है।कोई भी औद्योगिक इकाई न होने की वजह से जिले के युवाओं को रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ता है।आंवले की कोई बड़ी इकाई न होने की वजह से यहां के अमृत फल से भी बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन नहीं हो पा रहा है।

विकास कार्य

शहर में लगने वाले जाम की समस्या से लोगों को निजात दिलाने के लिए प्रयागराज-अयोध्या हाईवे पर 20 किलोमीटर का बाईपास निर्माणाधीन है। इसके अलावा लालगंज, मोहनगंज, पृथ्वीगंज, रानीगंज कस्बे की जाम की समस्या खत्म करने के लिए 51 किलोमीटर बाईपास बनने जा रहा है। इसका शिलान्यास भी हो चुका है। कोहंडौर से पृथ्वीगंज के लिए 40 किलोमीटर बाईपास भी बनने जा रहा है। कुसमी और भगवा चुंगी रेलवे फाटक पर रेलवे ओवर ब्रिज बनने वाला है। राजकीय इंजीनियरिंग कालेज इस सत्र से शुरू होने वाला है। शिवसत में ही 100 बेड का संयुक्त अस्पताल बन रहा है। इसके अलावा जिले की अधिकांश प्रमुख सड़के चौड़ी होने के साथ सड़कों का जाल भी फैल गया है।

More news