पीडीए में ब्राह्मणों की एंट्री के बाद अखिलेश की निगाहें अब क्षत्रिय वोट बैंक पर,महाराणा प्रताप जयंती पर किया ये काम
पीडीए में ब्राह्मणों की एंट्री के बाद अखिलेश की निगाहें अब क्षत्रिय वोट बैंक पर,महाराणा प्रताप जयंती पर किया ये काम

09 May 2025 |  22



ब्यूरो धीरज कुमार द्विवेदी



लखनऊ।शुक्रवार को महाराणा प्रताप जयंती पर राजधानी लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने क्षत्रिय समाज को साधते हुए न‌ई रणनीति का संकेत दिया।सपा की पीडीए रणनीति में ब्राह्मणों को शामिल करने के बाद अब अखिलेश यादव क्षत्रिय वोट बैंक पर नजर गड़ाए हुए है।

महाराणा प्रताप की जयंती पर सपा कार्यालय विक्रमादित्य मार्ग पर मनाई गई।इस दौरान अखिलेश यादव सिर पर पगड़ी पहने नजर आए और महाराणा प्रताप की मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर माल्यार्पण किया और उनके बलिदान को याद किया।सपा कार्यालय में संभवता पहली बार महाराणा प्रताप की जयंती मनाई गई है,जिसके सियासी मायने साफ समझे जा सकते हैं।इस दौरान अखिलेश के साथ क्षत्रिय समाज के प्रमुख नेता अरविंद सिंह गोप,आनंद भदौरिया,उदयवीर सिंह,आईपी सिंह और जूही सिंह मौजूद रहे।

सियासी पंडितों का कहना है कि सपा यह रणनीति 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर बना रही है,जिसमें पार्टी अगड़ा और पिछड़ा वर्गों को एकजुट कर भाजपा को चुनौती देना चाहती है।क्षत्रिय और ब्राह्मण वोटों को साधकर सपा अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है।अखिलेश ने केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा की नीतियां समाज को बांटने वाली हैं, जबकि सपा एकता और समानता के सिद्धांत पर चलती है।

सपा से राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने 21 मार्च को उच्च सदन में गृह मंत्रालय के कामकाज की समीक्षा पर बहस चल रही थी।रामजीलाल सुमन ने इस बहस के दौरान कहा था कि इब्राहिम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था,तो मुसलमान तो बाबर की औलाद हैं और तुम गद्दार राणा सांगा की औलाद हो,ये हिंदुस्तान में तय हो जाना चाहिए। रामजीलाल सुमन ने आगे कहा कि हम लोग बाबर की तो आलोचना करते हैं,लेकिन राणा सांगा की आलोचना नहीं करते हैं,इस बयान को लेकर सियासी संग्राम छिड़ गया था। राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना ने रामजीलाल सुमन के घर पर जमकर हंगामा किया और उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था,इसके बाद आगरा में करणी सेना ने जबरदस्त विरोध किया था।

रामजी लाल सुमन की इस टिप्पणी के बाद भाजपा के कई दिग्गज नेताओं ने अपना विरोध जताया था।क्षत्रिय सड़कों पर उतर गए थे,सपा के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की थी। अखिलेश यादव अपने दलित सांसद रामजीलाल सुमन के साथ खुलकर खड़े थे,जिसके बाद कहा गया कि सपा के एजेंडे से क्या ठाकुर बाहर हो गए हैं। 2027 के चुनाव में सपा को सबक सिखाने का भी करणी सेना और क्षत्रिय संगठनों ने ऐलान कर दिया था,ऐसे में अखिलेश यादव सियासी मिजाज समझते हुए महाराणा प्रताप का दांव चला है,ताकि क्षत्रियों की नाराजगी को दूर कर सकें।

यूपी में भले ही पांच फीसदी क्षत्रिय की आबादी हो,लेकिन उनकी सियासी ताकत उससे ज्यादा है। 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में 63 क्षत्रिय विधायक बने थे,जबकि 2022 में 49 क्षत्रिय विधायक बने थे।अवध से लेकर पूर्वांचल और पश्चिम यूपी में क्षत्रिय निर्णायक हैं।इस तरह से यूपी की सत्ता का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत क्षत्रिय रखते हैं, ऐसे में अखिलेश यादव क्षत्रियों की नाराजगी का जोखिम भरा कदम नहीं उठाना चाहते हैं।

भाजपा के दिग्गज नेता पुरुषोत्तम रुपाला के क्षत्रियों पर दिया गया विवादित बयान को लेकर करणी सेना ने यूपी में मोर्चा खोल दिया था,जिसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा,वैसा ही माहौल राणा सांगा पर रामजीलाल सुमन द्वारा दिए गए बयान के बाद से हो गया है।क्षत्रिय सपा के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं,इसके चलते ही सपा डैमेज कंट्रोल करने में जुट गई है,जिसके लिए महाराणा प्रताप का सियासी दांव चला है।

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