संभल मस्जिद ध्वस्तीकरण मामले में मुस्लिम पक्ष को लगा झटका, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका
संभल मस्जिद ध्वस्तीकरण मामले में मुस्लिम पक्ष को लगा झटका, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका

04 Oct 2025 |   58



 

प्रयागराज।संभल में तालाब और सरकारी जमीन पर बनी मस्जिद के ध्वस्तीकरण मामले में मस्जिद कमेटी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका लगा है।मस्जिद पक्ष की ओर से दाखिल याचिका को कोर्ट ने खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट में अपील करने का निर्देश दिया है।कोर्ट में छुट्टी के बावजूद अर्जेंट बेंच में जस्टिस दिनेश पाठक की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई की।बेंच ने मस्जिद शरीफ गोसुलबारा रावां बुजुर्ग और उसके मुतवल्ली मिंजर की ओर से दाखिल याचिका को खारिज कर दी।

सुबह 10 बजे शुरू हुई सुनवाई में मस्जिद कमेटी की ओर से अधिवक्ता अरविंद कुमार त्रिपाठी और शशांक श्री त्रिपाठी ने पक्ष रखा।याचिका में मस्जिद,बारात घर और अस्पताल के खिलाफ पारित ध्वस्तीकरण आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी।दावा किया कि बिना ध्वस्तीकरण आदेश के कार्रवाई शुरू की गई,जिसके बाद कोर्ट ने हस्तक्षेप किया और संबंधित आदेश मांगे गए।शुक्रवार की सुनवाई में कोर्ट ने मस्जिद की जमीन से जुड़े दस्तावेज भी मांगे थे,जो शनिवार को पेश किए गए।

बता दें कि 2 अक्टूबर को गांधी जयंती और दशहरे के दिन संभल प्रशासन ने बुलडोजर कार्रवाई शुरू की,जिसमें बारात घर को तालाब की जमीन पर अवैध निर्माण मानते हुए ध्वस्त कर दिया गया।मस्जिद का भी कुछ हिस्सा सरकारी जमीन पर होने का दावा है,जबकि मस्जिद कमेटी ने अवैध हिस्से को खुद हथौड़े से तोड़ना शुरू कर दिया है।मस्जिद कमेटी की तरफ से याचिका में दलील दी गई कि बुलडोजर कार्रवाई के दौरान भीड़ जमा होने से बड़ा हादसा या बवाल हो सकता था,लेकिन प्रशासन ने इसे अनदेखा किया।

कोर्ट ने दोनों पक्षों मस्जिद कमेटी और राज्य सरकार की दलीलें सुनने के बाद मस्जिद कमेटी की याचिका निस्तारित कर दी।राज्य सरकार की ओर से चीफ स्टैंडिंग काउंसिल जे एन मौर्या और स्टैंडिंग काउंसिल आशीष मोहन श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि जमीन सरकारी और तालाब की है,जहां अवैध निर्माण हुआ है।कोर्ट ने मस्जिद पक्ष को ट्रायल कोर्ट में अपील की सलाह देते हुए कोई अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया।

मस्जिद कमेटी ने अपनी याचिका में प्रदेश सरकार,संभल डीएम और एसपी,एडीएम,तहसीलदार और ग्राम सभा को पक्षकार बनाया है।मस्जिद पक्ष का आरोप है कि बिना उचित नोटिस के ध्वस्तीकरण शुरू किया गया,जबकि प्रशासन का कहना है कि कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया के तहत हो रही है। हाईकोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया और निचली अदालत को आगे की कार्रवाई का निर्देश दिया।

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