गजब शंकर के सामने शंकर:बसपा विधायक उमाशंकर के पोल खोलने पर मंत्री दयाशंकर सिंह ने किया पलटवार,कहा-गीदड़ भभकी नहीं,विधानसभा में सबूत रखो
गजब शंकर के सामने शंकर:बसपा विधायक उमाशंकर के पोल खोलने पर मंत्री दयाशंकर सिंह ने किया पलटवार,कहा-गीदड़ भभकी नहीं,विधानसभा में सबूत रखो

10 Aug 2025 |   52



 

बलिया।उत्तर प्रदेश के बलिया में कटहल नाले पर बने नए पुल के उद्घाटन को लेकर परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और बहुजन समाज पार्टी के विधायक उमाशंकर सिंह आमने-सामने हैं।दोनों के बीच सियासी जंग चरम पर है। शनिवार को दयाशंकर सिंह ने उमाशंकर पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि वह गीदड़ भभकी से डरने वाले नहीं है। उमाशंकर ने बीते दिनों जवाबी हमले में दयाशंकर की पोल खोलने की बात कही थी।

बसपा विधायक उमाशंकर सिंह के पूर्व में दिए बयान पर पलटवार करते हुए मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि वह (उमाशंकर सिंह) उनके ऊपर आरोप लगा रहे हैं,वह कह रहे हैं कि अगर वह अगर दयाशंकर सिंह की पोल खोल देंगे तो दयाशंकर सिंह भाग खड़े होंगे।दयाशंकर सिंह ने कहा कि उमाशंकर सिंह विपक्ष में है,उन्हें सदन में बोलने की अनुमति है।विधानसभा आगामी दिनों में शुरू होने वाली है।

वह(उमाशंकर सिंह) इस विषय पर विधानसभा में बोले।इसके साथ ही बलिया और प्रदेश के लोगों को इस आरोप से जुड़े सबूत के बारे में बताएं। उमाशंकर सिंह के पास जो भी साक्ष्य है मेरे में भ्रष्टाचार से जुड़े,वह प्रस्तुत करें,वह जनता को गुमराह ना करें।उमाशंकर सिंह को दयाशंकर सिंह ने चुनौती देते हुए कहा कि उनके खिलाफ जो भी साक्ष्य है वह उमाशंकर सिंह सार्वजनिक करें।

मंत्री दयाशंकर सिंह ने स्पष्ट किया कि उनकी आपत्ति पुल के उद्घाटन पर नहीं,बल्कि बिना सूचना के शुरू करने पर थी। उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी ने 5 अगस्त को बिना एनएचएआई की मंजूरी और हैंडओवर के पुल खोल दिया। जबकि तार लटके थे और ठेकेदार को काम पूरा होने का प्रमाण पत्र मिला या नहीं इसकी जांच होनी चाहिए। दयाशंकर सिंह ने बिहार में पुल गिरने की घटना का जिक्र करते हुए हादसे की आशंका जताई।

बता दें कि इस विवाद की शुरुआत 5 जुलाई को हुई।जब एनएच-31 पर बने इस पुल को पीडब्ल्यूडी ने देर रात अचानक शुरू कर दिया था।मंत्री दयाशंकर सिंह ने तब अधिकारियों पर बसपा विधायक उमाशंकर सिंह के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया था।जवाब में उमाशंकर ने दयाशंकर के कारनामे उजागर करने की धमकी दी थी।यह विवाद अब विकास से हटकर सियासी रंजिश में बदल चुका है।स्थानीय लोग इसे राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई के रूप में भी देख रहे हैं। सबकी निगाहें अब विधानसभा सत्र पर टिकी हैं।

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