लखनऊ।उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह में होने वाली गड़बड़ी को रोकने के लिए योजना के नियमों कई नए बदलाव किए गए हैं।अब दूल्हा-दुल्हन का मौके पर ही पजींकरण होगा।जिले में विवाह पंजीकरण का काम देख रहे एडीएम लेवल के अधिकारी की ड्यूटी लगाई जाएगी।एक बार विवाह पंजीकरण हो जाने के बाद अगर कोई दोबारा शादी करता है,तो वो पकड़ा जाएगा।
जिन लोगों का विवाह हो चुका है अगर वो दोबारा शादी करेंगे तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना आसान रहेगा। फैसला ये भी लिया गया है कि इस साल से सामूहिक विवाह कार्यक्रम में बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज की जाएगी,सामूहिक विवाह में होने वाली गड़बड़ी को रोकने के लिए योजना में ये नए बदलाव किए गए हैं।
कोई भी ऐसा जो मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के लिए अपात्र है,उसे इसका लाभ न हो,इसके लिए सख्ती बरती जाएगी,साल 2017-18 से ये मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना शुरू की गई है,तब से लेकर अब तक 923 अपात्र विवाहित जोड़ों को पकड़ा जा चुका है।बलिया में बीते साल सामूहिक विवाह कार्यक्रम में 400 जोड़े फर्जी मिले थे। सुल्तानपुर में 12 फर्जी जोड़ों को पकड़ा गया था।
गोरखपुर में तो एक भाई-बहन का ही फर्जी विवाह करा दिया गया था,इतना ही नहीं बलिया,सुल्तानपुर और अन्य जगहों पर दलालों द्वारा विवाहित जोड़ों को ही फर्जी दूल्हा-दुल्हन बनाकर शादी के लिए भेज दिया गया।वैरिफिकेशन में मामला पकड़ में आया,फिर उनको योजना का लाभ नहीं मिल सका।इसके बाद अब सख्ती बरती जा रही है।
अगर किसी सामूहिक विवाह कार्यक्रम में 100 से अधिक जोड़ों की शादी कराई जाती है,तो उस कार्यक्रम में जिलाधिकारी की मौजूदगी होगी।साथ ही वीडियोग्राफी भी की जाएगी।अभी तक कुल 477680 जोड़ों का विवाह कराया जा चुका है,इस पर कुल 2378 करोड़ का खर्च आया है।