देवबंद,सहारनपुर।अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मौलाना अमीर खान मुत्तकी शनिवार को दारुल उलूम पहुंचेंगे। इस दौरान मुत्तकी उलेमा से मुलाकात कर तलबा को संबोधित करेंगे।दारुल उलूम प्रशासन ने 15 वरिष्ठ उलेमाओं की सूची जारी की है जो अफगानी प्रतिनिधिमंडल की अगवानी करेगा।
शुक्रवार को दारुल उलूम मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने 15 उलेमा की सूची जारी की, जो कि अफगानी प्रतिनिधिमंडल की अगवानी करने के उपरांत उनसे मुलाकात करेंगे।इस दौरान प्रतिनिधिमंडल दारुल उलूम के तलबा (छात्रों) को नवनिर्मित लाइब्रेरी के हॉल में संबोधित करेगा।
बता दें कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मौलाना अमीर मुत्तकी गुरुवार को दिल्ली पहुंचे थे।इस दौरान मुत्तकी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी और शिक्षा,स्वास्थ्य और वीजा विस्तार पर चर्चा हुई।उम्मीद जताई जा रही है कि अफगानिस्तान से भारत पढ़ने आने वाले छात्रों को दारुल उलूम में इस्लामिक शिक्षा सहित दूसरे क्षेत्रों में शिक्षा के द्वार भी खुलने की संभावना जताई जा रही है।
बताते चलें कि अफगानिस्तान के अंतिम बादशाह मोहम्मद जहीर शाह की याद में दारुल उलूम में आज भी उनके नाम से बाब-ए-जहीर गेट बना हुआ है। 25 फरवरी 1958 को दारुल उलूम भ्रमण के दौरान जब मोहम्मद जहीर शाह संस्था में आए तो कुरआन पढ़ने वाले बच्चों के लिए उन्होंने 25 फीट ऊंचे गेट का निर्माण कराया गया था।गेट का निर्माण इस तरह कराया था कि उसमें दोनों ओर आठ कमरे बनवाएं गए,जिसमें बैठकर बच्चे कुरआन की तालीम हासिल कर सकें। इस गेट का नाम उन्हीं के नाम पर बाब-ए-जहीर शाह रखा गया।बरहाल 67 साल पुराने इस निर्माण को हटाने के लिए साल 2006 में प्रयास किया गया था, लेकिन उस समय सत्ता से पदच्यूत हो चुके अफगानिस्तान के पूर्व बादशाह ने उक्त निर्माण को हटाने की सहमति नहीं दी थी। 23 जुलाई 2007 में उनके निधन के बाद दारुल उलूम में नवनिर्माण होने के चलते उक्त गेट को हटाने की चर्चाए चली, लेकिन अभी तक यह गेट हटाया नहीं जा सका और उनके ही नाम से ही गेट जाना जाता है। जबकि इसके दोनों ओर सहित इसके पीछे बड़ी लाइब्रेरी का निर्माण का निर्माण किया जा चुका है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुत्तकी इसी गेट से होते हुए नवनिर्मित लाइब्रेरी के भवन में पहुंचेंगे, जहां वह संस्था के तलबा को संबोधित करेंगे।