सची यादव (दिव्यांग) की कलम से पुलिस
जब दिल की धड़कन बढ़ जाती है,
सबसे पहले पुलिस याद आती है।
दस मिनट में प्रकट हो जाती हैं,
दिन में दस बार गालियां खाती है।
लड़ने को नहीं कहती है आपसे,
फिर भी आपके झगड़े निपटाती है।
खराफत आप चाहे करो कितनी,
फिर वो आपको सुरक्षा दिलाती है।
आप अपनों से लड़ो या अपने आपसे,
वो हर दम दौड़ी आपके पास आती है।
कोई उसको भी दो शब्द स्नेह दो,
वो भी थोड़ा सा सुकून चाहती है।
सब कहते हैं वो इसी काम की तनख्वाह पाती हैं,
कोई उसको भी समझे आखिर वो क्या चाहती हैं।