मेरठ। उत्तर प्रदेश के मेरठ में मुस्लिम महिलाओं और छात्राओं के भ्रामक वीडियो-फोटो पोस्ट करने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है।पुलिस ने दो फिरोज और कासिम को धर दबोचा।विदेशी फंडिंग पाने के लिए फिरोज और कासिम ने सोशल मीडिया पर भ्रामक कंटेंट फैलाया। बता दें कि पिछले दिनों से मेरठ भगवा लव ट्रैप चल रहा था।
पुलिस के मुताबिक फिरोज और कासिम भीड़भाड़ वाले इलाकों में वीडियो बनाकर झूठे और भ्रामक संदेश के साथ सोशल मीडिया पर पोस्ट करते थे।फिरोज से मिले मोबाइल में चार और छात्राओं के वीडियो पुलिस को मिले हैं।दोनों के मोबाइल पुलिस फॉरेंसिक जांच के लिए भेजेगी।
गिरफ्तार फिरोज और कासिम ने बताया कि उनका सोशल मीडिया पर फोलोअर्स बढ़ाने के साथ ही विदेशी फंडिंग की मंशा से ही वे यह काम कर रहे थे।वे लव ट्रैप का एंगल देकर मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं के बारे में दुष्प्रचार करते थे। मुस्लिम युवतियों को इस तरह निशाना बनाने का यह नया ट्रेंड भी सामने आया है। पुलिस इसकी गंभीरता से जांच कर रही है।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की मुस्लिम छात्रा ने मई में मेेडिकल थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी,जिसमें बताया था कि 28 अप्रैल को कक्षा समाप्त होने के बाद वह सहपाठियों के साथ घर जा रही थी। विवि की सामने वाली सड़क पर एसबीआई के पास बाइक सवार दो लड़कों ने मोबाइल से उनकी फोटो खींच ली।उन्होंने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। अगले दिन छात्रा को पड़ोसी ने बताया कि उसकी फोटो व्हाट्सएप ग्रुप में वायरल हो रही है। इसमें मुस्लिम लड़की और हिंदू लड़के का एंगल देकर लव ट्रैप की बात के साथ उसका चरित्र हनन और छवि खराब करने की कोशिश की गई। इससे वह मानसिक तनाव में आ गई।
रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी थी।सोमवार को पुलिस ने अलीगढ़ के कैलानगर नई आबादी क्वार्सी निवासी फिरोज को बिहार से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के बाद साथी बुद्धा गार्डन थाना लोहियानगर निवासी कासिम को भी पकड़ लिया।सीओ सिविल लाइन अभिषेक तिवारी ने बताया कि फिरोज के पास से मिले मोबाइल में चार नए वीडियो मिले हैं। कासिम का मोबाइल भी कब्जे में लिया गया है।सीओ ने बताया कि पूछताछ के बाद दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
पूछताछ में फिरोज और कासिम ने बताया कि वे मुस्लिम महिलाओं और छात्राओं के फोटो-वीडियो काॅलेजों, यूनिवर्सिटी और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर बनाकर झूठे आरोप लगाकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म व इस्लामिक कंटेंट जैसे ग्रुपों में डालते थे ताकि इससे छात्र-छात्राओं पर दबाव बनाकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ा जा सके।ऐसे फोटो और वीडियो देखकर लोगों में गुस्सा बढ़ता था। कई लोग ऐसे वीडियो शेयर करते थे। इससे उनके लाइक्स और फोलोअर्स भी बढ़ते थे।